सीहोर में बीजेपी की ‘बेमिसाल’ देरी
सीहोर में बीजेपी की ‘बेमिसाल’ देरी, मंत्री जी न आए — पत्रकार बोले, हम ‘मोदी कार्यकाल’ नहीं, टाइम टेबल पर चलते हैं!
"11 साल बेमिसाल" का जश्न मनाने पहुंचे थे, पर 1 घंटे 15 मिनट का इंतज़ार मिसाल बन गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 सालों की "बेमिसाल" यात्रा को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने सीहोर के क्रिसेंट रिसोर्ट में एक पत्रकार वार्ता रखी थी, लेकिन कार्यक्रम ऐसा फिसला कि बेमिसाल की जगह ‘बे-हिसाब’ शब्द ज़्यादा सटीक लगने लगा।
मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग को पत्रकारों से संवाद करना था। बीजेपी ने प्रेस को 11:30 बजे का निमंत्रण दिया, लेकिन 12:45 तक न मंत्री पहुंचे, न संवाद। पहुंची तो सिर्फ ‘घड़ी की सूई’ और पत्रकारों की पेशेंस की लिमिट’।
इंतजार करते-करते कुछ पत्रकारों ने तो रिसोर्ट की कुर्सियों को ‘राज्यसभा सीट’ समझ लिया था — क्योंकि वहाँ भी कोई आता नहीं, पर गर्मा-गर्मी बनी रहती है।
पत्रकारों का सब्र टूटा — और खबर बन गई
लगभग सवा घंटे बाद पत्रकारों ने वही किया जो हर जागरूक नागरिक को करना चाहिए — उठे, विरोध किया और कार्यक्रम से बाहर निकल गए। भाजपा पदाधिकारी मनाने आए, लेकिन पत्रकारों ने साफ कहा —
हम प्रेस कांफ्रेंस कवर करने आए हैं, मंत्री की नींद नहीं!
एक वरिष्ठ पत्रकार ने कटाक्ष में कहा —
“यह 11 साल का बेमिसाल शासन है या 11 मिनट का भी ना संभाल पाने वाली पार्टी बैठक?”
दूसरे पत्रकार ने जोड़ दिया —
“सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है, लेकिन खुद अभी भी BSNL की स्पीड से चल रही है।”
समझने वालों के लिए इशारा काफ़ी है... कार्यक्रम के नाम पर पत्रकारों को बुलाना और उन्हें इंतज़ार करवा कर यह उम्मीद करना कि वो ‘विकास की बातों’ को सुनेंगे, ये शायद उन्हीं का सपना हो सकता है जो "मोदी है तो मुमकिन है" में ‘घड़ी’ को शामिल करना भूल गए।
“जो सरकार प्रेस को समय नहीं दे सकती, वो जनता को क्या समय देगी?”
सीहोर की ये घटना पत्रकारिता नहीं, प्रेस की प्रतीक्षा बनकर रह गई — और इस बार खबर बीजेपी ने नहीं, खुद पत्रकारों ने बना दी।