पंचायत सचिवों ने अपनी मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन
कहा- समस्याओं का शीघ्र समाधान करें सरकार
सीहोर।
मध्यप्रदेश पंचायत सचिव संयुक्त मोर्चा के बैनर तले पंचायत सचिवों ने अपनी लंबे समय से लंबित मांगों और ज्वलंत समस्याओं को लेकर जिला कलेक्टर सीहोर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पंचायत सचिवों ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए सरकार से मांग की कि उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए और विभिन्न सुविधाओं का लाभ दिया जाए।
ज्ञापन में मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
- 1. शासकीयकरण की माँग: प्रदेश के लगभग 23,000 पंचायत सचिव वर्षों से संविदा पद पर कार्य कर रहे हैं। पंचायतों के प्रशासनिक ढांचे की रीढ़ बन चुके इन सचिवों ने मांग की है कि उन्हें स्थायी शासकीय कर्मचारी घोषित किया जाए।
- 2. समयमान वेतनमान: पंचायती राज विभाग के कर्मचारियों की तरह पंचायत सचिवों को भी समयमान वेतनमान का लाभ मिलना चाहिए। वर्षों की सेवा के बाद भी इन्हें वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल रहा।
- 3. प्रोत्साहन राशि व निर्माण कार्य प्रभार: सचिवों ने बताया कि उन्हें मनरेगा और पंचायत निर्माण कार्यों के लिए निर्धारित ₹2500 की प्रोत्साहन राशि नियमित रूप से प्राप्त नहीं हो रही है। साथ ही ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य की जिम्मेदारी भी उन्हें ही दी जाती है।
- 4. गृह भाड़ा भत्ता: जो सचिव अन्य जिलों की पंचायतों में पदस्थ हैं, उन्हें गृह भाड़ा भत्ता प्रदान किया जाए क्योंकि वे अपने गृह स्थान से दूर सेवा दे रहे हैं।
- 5. वेतन भुगतान में विलंब: सचिवों को कई बार वेतन तीन-तीन महीने तक नहीं मिल पाता। विभाग द्वारा एक तारीख को वेतन भुगतान सुनिश्चित कराने के निर्देश जारी किए जाएं।
- 6. दुर्घटना बीमा योजना: पंचायत सचिवों के लिए ₹5 लाख की दुर्घटना बीमा योजना लागू करने की मांग की गई है।
- 7. अनुकंपा नियुक्ति: पूर्व में मृत पंचायत सचिवों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली है। मोर्चा ने आग्रह किया है कि इस संबंध में नीति बनाई जाए।
- 8. सेवा समाप्ति एवं पेंशन संबंधी माँग: पंचायत सचिवों को सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन, ग्रैच्युटी और अन्य लाभ दिए जाएं। 3 लाख रुपये की एकमुश्त सम्मान राशि की भी माँग की गई है।
संघ ने यह भी अनुरोध किया है कि आयुष्मान पोर्टल पर पंचायत सचिवों को सूचीबद्ध कर उनके व उनके परिजनों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाए।




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