साध्वी ऋतंभरा को मिला पद्म भूषण: राम मंदिर आंदोलन की मुखर आवाज बनीं
नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार, 27 मई 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह के दूसरे चरण में देशभर की 68 प्रतिष्ठित हस्तियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया। इस सूची में साध्वी ऋतंभरा का नाम भी शामिल रहा, जिन्हें ‘सामाजिक कार्य’ के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाज़ा गया।
राम मंदिर आंदोलन के दौरान साध्वी ऋतंभरा ने देशभर में "हाँ, हम हिंदू हैं – हिंदुस्तान हमारा है" जैसे नारे देकर एक अलग ऊर्जा पैदा की। उनके भाषण इतने लोकप्रिय हुए कि उन दिनों उनके कैसेट्स बाजार में बिकने लगे थे।
आंदोलन के दौरान ईसाई मिशनरियों पर बयान देने के बाद कांग्रेस सरकार ने उन्हें गिरफ्तार किया। दिग्विजय सिंह की सरकार ने उन्हें चुप कराने की पूरी कोशिश की, लेकिन साध्वी ऋतंभरा ने संघर्ष नहीं छोड़ा। वे हर मंच से राम मंदिर निर्माण की आवाज बुलंद करती रहीं।
5 अगस्त 2020 को जब अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ, तो साध्वी ऋतंभरा ने सरयू जल लेकर संकल्प दोहराया – "जहाँ राम का नाम है, वहीं है हमारा धाम।"
साध्वी ऋतंभरा ने 2001 में वृंदावन में ‘वात्सल्य ग्राम’ की स्थापना की। यहाँ अनाथ बच्चों और बेसहारा बुजुर्गों को परिवार जैसी छांव मिलती है। यहाँ हर बच्चा उन्हें ‘दीदी माँ’ कहकर बुलाता है। साथ ही, वे बालिका सैनिक स्कूल और आदिवासी बेटियों के लिए स्कूल जैसी संस्थाओं का भी संचालन करती हैं।
जिस साध्वी को आतंकी जैसा बताया गया, जिन्हें गिरफ्तार कर चुप कराने की कोशिश की गई – वही आज राष्ट्रपति भवन में पद्म भूषण सम्मान ले रही हैं। यह सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि एक संघर्षशील साध्वी के साहस और समर्पण की जीत है।
– Reporting india न्यूज़ डेस्क
मध्य प्रदेश के एक विधायक के नाम पर 'ट्रांसफर बम' का फर्जी धमाका
खटीक के नाम पर 'ट्रांसफर बम' का फर्जी धमाका!
टीकमगढ़ (जतारा)। ट्रांसफर सीज़न के बीच एक नई हलचल ने राजनीति और शिक्षा विभाग दोनों में खलबली मचा दी है। वायरल हुई 18 शिक्षकों की ट्रांसफर लिस्ट पर जतारा विधायक हरिशंकर खटीक के हस्ताक्षर और नाम चमक रहे हैं, लेकिन विधायक ने इसे 'फर्जी' करार दिया है।
खटीक बोले: "किसी ने मेरे पुराने लेटरहेड का कलर प्रिंट निकालकर उस पर स्कैन किए हस्ताक्षर चिपका दिए।"
विधायक का दावा: अब तक केवल 136 पत्र जारी किए गए हैं।
सियासत में नया ट्विस्ट
खटीक ने इस मामले को भाजपा को बदनाम करने की साजिश बताया और स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी शिक्षक के ट्रांसफर की सिफारिश नहीं की है। उन्होंने शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह को पत्र लिखकर लिस्ट को फर्जी बताते हुए जांच की मांग की है।
अब क्या होगा?
विधायक ने चेतावनी दी है कि अगर यह लिस्ट भोपाल लोक शिक्षण संचालनालय या अन्य किसी कार्यालय में जमा की गई है, तो उसे तत्काल निरस्त किया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में SP को शिकायत भी सौंपेंगे।
फास्ट फैक्ट्स:
- 18 शिक्षकों की सूची वायरल
- MLA ने खुद को बताया निर्दोष
- राजनीतिक साजिश का आरोप
- SP से होगी शिकायत
विश्लेषण:
एक ओर जहां शिक्षक तबादले की उम्मीद लगाए बैठे हैं, वहीं नेताओं के नाम से वायरल फर्जी आदेश इस प्रक्रिया को और विवादित बना रहे हैं। डिजिटल ज़माने में एक स्कैन हस्ताक्षर कितने मुसीबत खड़े कर सकता है, ये इसका ताजा उदाहरण है।
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| वायरल फर्जी ट्रांसफर लिस्ट |

